Sunday, July 24, 2011





मल्हार  वारी  मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून


मल्हार  वारी  मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून



ओढ  लावती  अशी  जीवला  गावाकडची  माती
साद  घालती  पुन्हा  नव्याने  ती  रक्ताची  नाती 


मल्हार  वारी  मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून


मल्हार  वारी  मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून


गड  जेजुरीचे  आम्ही  रहिवाशी 
हा  गड  जेजुरीचे  आम्ही  रहिवाशी
देवाचा  झेंडा  वळखला दुरून 
मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून
 

 
मल्हार  वारी  मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून



मल्हार  वारी  मोतियाने  द्यावी  भरून 
न्हायतर  देवा , देवा  मी  जातो  दुरून




उध  उध उध उध 


उधे  ग  आंबे  उधे  - 6
होऊ दे  सर्व  दिशी  मागाल
जागवितो  रात्रंदिन  संबळ
उधे  उधे  उधे  उधे  


फुलवितो  दिवटी  दीपकळी
आम्ही  अंबेचे  गोंधळी  - 3 

उधे  ग  आंबे  उधे  - 4
 

घरोघरी  हिंडतो  न  गोंधळ  आईचा  मांडतो
आईचा  मांडतो  न  गोंधळ  देवीचा  मांडतो
भवानी  भवानी  भवानी  बसली  ओठिकळी
आम्ही  अंबेचे  गोंधळी - 3 aa ha
उधे  ग  आंबे  उधे - 4

सान  थोर  नेणतो  न  आम्ही  दैवाशी जाणतो

दैवाशी  जाणतो, आम्ही  दैवाशी  जाणतो
घावली 
घावली घावली, मूळमायेची  मुळी
आम्ही  अंबेचे  गोंधळी - ३

 उधे  ग  आंबे  उधे - ४

बोला  अंबाबाईचा  उधो , रेणुका  देवीचा उधो 

एकविरा  आईचा उधो, या  आदिमायेचा उधो
जगदंबेचा उधो , महालक्ष्मीचा  उधो
सप्तश्रुन्गीचा
उधो , काळूबाईचा  उधो
तुळजा  भवानी  आईचा  उधो
बोला  अंबाबाईचा  उधो , रेणुका  देवीचा  उधो
बोला  जगदंबेचा  उधो  


उध  उध उध उध ......

Saturday, July 23, 2011

man udhan varyache - ag bai arrecha




मायेच्या  हळव्या  स्पर्शाने  खुलते
नात्यांच्या  बंधात धुंद  मोहरते
मायेच्या  हळव्या  स्पर्शाने  खुलते
नात्यांच्या  बंधात धुंद  मोहरते
मन   उधान  वाऱ्याचे
गुज  पावसाचे
का  होते  बेभान  कसे  गहिवरते
मन   उधान  वाऱ्याचे
गुज  पावसाचे
का  होते  बेभान  कसे  गहिवरते
 मन   उधान  वाऱ्याचे



आकाशी  स्वप्नांच्या  हरकून  भान  शिरते
हुरहुरत्या  सांजेला  कधी  एकटेच  फिरते
सावरते  बावरते  घर  ते  अद्खते  का  पडते
कधी  आशेच्या  हिंदोल्यावर
मन  हे  वेडे  झुलते
मन  तरंग  होऊन  पाण्यावरती  फिरते
आणि क्षणात  फिरुनी  आभाळाला  भिडते

मन   उधान  वाऱ्याचे
गुज  पावसाचे
का  होते  बेभान  कसे  गहिवरते

 मन   उधान  वाऱ्याचे

रुणझुणते  गुणगुणते
कधी  गुंतता  हरवते
कधी  गहिऱ्या डोळ्यांच्या  डोहात  पार  बुडते
तळमळते  सारखे  भाबडे  नकळत  का  भरकटते
कधी  मोहाच्या  चार  क्षणाला  मन  हे  वेडे  भुलते
जाणते  जरी  हे  पुन्हा  पुन्हा  का  चुकते
भाबडे  तरीहे  भासांच्या  मागून  पडते

मन   उधान  वाऱ्याचे
गुज  पावसाचे
का  होते  बेभान  कसे  गहिवरते

 मन   उधान  वाऱ्याचे

Friday, July 22, 2011

ka kalena kontya kshani





का  कळेना  कोणत्या  क्षणी  हरवते  मन  कसे
उमलती  कशा  धुंद  भावना अल्लड  वाटे कसे
बंध  जुळती  हे  प्रीतीचे गोड  नाते  हे  जन्मातरीचे


एक  मी  एक  तू ,शब्द  मी  गीत  तू
आकाश  तू  आभास  तू  सारयात  तू
ध्यास  मी  श्वास  तू , स्पर्श  मी  मोहर  तू
स्वप्नात  तू  सत्यात  तू साऱ्यात  तू 

का  कळेना  कोणत्या  क्षणी  हरवते  मन  कसे
उमलती  कशा  धुंद  भावना अल्लड  वाटे कसे
बंध  जुळती  हे  प्रीतीचे गोड  नाते  हे  जन्मातरीचे


घडले  कसे  कधी कळते  न जे  कधी 

हळुवार  ते  आले  कसे  ओठावरी 

देणा तू साथ दे हातात  हात  दे 

नजरेतला नजरेतुनी इकरार दे 

का  कळेना  कोणत्या  क्षणी  हरवते  मन  कसे
उमलती  कशा  धुंद  भावना अल्लड  वाटे कसे
बंध  जुळती  हे  प्रीतीचे गोड  नाते  हे  जन्मातरीचे


Ka kalena konatya kshani
Singers- Bela Shende, Swapnil Bandodkar
Music- Avinash-Vishwajeet

kadhi tu - mumbai pune mumbai





कधी तू रिम झिम झरनारी बरसात 
कधी तू चमचम करणारी चांदण्यात
कधी  तू  ओसळत्या  धारा  थैमान  वारा 
बिजलीची नक्षी अंबरात
सळसळत्या  लाटा  भिजलेल्या  वाटा
चिंब  पावसाची  ओली  रात


कधी तू रिम झिम झरनारी बरसात 
कधी तू चमचम करणारी चांदण्यात 


कधी  तू  अंग  अंग  मोहरनारी
आसमंत  दरवळणारी  रातराणी  वेड्या  जंगलात (2)
कधी  तू  हिरव्या  चाफ्याच्या  पाकळ्यात
कधी तू रिम झिम झरनारी बरसात

कधी  तू  ओसळत्या  धारा  थैमान  वारा 
बिजलीची नक्षी अंबरात
सळसळत्या  लाटा  भिजलेल्या  वाटा
चिंब  पावसाची  ओली  रात


कधी तू रिम झिम झरनारी बरसात 
कधी तू चमचम करणारी चांदण्यात


जरी  तू  कळले तरी  ना  कळणारी
दिसले  तरी  ना  दिसणारी  विरणारे  मृगजळ  एक  क्षणात ...(2)
कधी  तू  मिटलेल्या  माझ्या  पापण्यात
कधी तू रिम झिम झरनारी बरसात


कधी  तू  ओसळत्या  धारा  थैमान  वारा 
बिजलीची नक्षी अंबरात
सळसळत्या  लाटा  भिजलेल्या  वाटा
चिंब  पावसाची  ओली  रात


कधी तू रिम झिम झरनारी बरसात 
कधी तू चमचम करणारी चांदण्यात